भाद्रपद शुक्ल चतुर्थीका मध्याह्नकाल था। उस दिन चन्द्रवार, स्वातिनक्षत्र एवं सिंहलग्नका योग था। पाँच शुभ ग्रह एकत्र थे। जगज्जननी शिवाने गणेशजीकी षोडशोपचारसे पूजा की और उसी समय उनके सम्मुख अमित महिमामय, कुन्दधवल, षड्भुज, त्रिनयन भगवान् गणेश पुत्ररुपमें प्रकट हो गये।
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न के समय विघ्नविनायक भगवान् गणेशका जन्म हुआ था । अत: यह तिथि मध्याह्नव्यापिनी लेनी चाहिये । गणेशचतुर्थी के दिन नक्त व्रत का विधान है । अत: भोजन सांयकाल करना चाहिये तथापि पूजा यथासंभव मध्याह्न में ही करनी चाहिये ।
First you should bring, idol (Murti) of Lord Ganesha on chaturthi (i.e 1 Sep 2011) before 11.30 am.
The most auspicious time to celebrate Ganesha Chaturhi (Puja) is any time between 12.00 pm to 3.00 pm.
Abhijit Muhurta (11.55 am to 12.15) pm is the best time for Ganesha Puja.
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